Tumhari Yaadein
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मेरी राहों में तुम शमां जलाओगे शायद,
इस तरह तुम मुझे अपना बनाओगे शायद ,
अपनी कश्तियाँ तूफ़ान के हवाले करके ,
आज मल्लाह से तुम शर्त लगाओगे शायद,
इस दुनियाँ के फरेबों से परेशान हो के ,
अपने खुदा को आवाज़ लगाओगे शायद,
बच्चे जब भी मांगेंगे किताबें तुमसे,
उनके हाथों में बन्दूक थमाओगे शायद,
किसी बहाने से फिर लौट के आने वालो ,
मेरे साथ तुम इक उम्र बिताओगे शायद,
तुम्हें बस्ती की तबाही का कुछ मलाल नहीं,
तेज बारिश में पतंगें उड़ाओगे शायद,
तुम बच्चों को बड़प्पन की नसीहत दोगे,
जुगनुओं को सूरज से मिलाओगे शायद,
चोट खा के खुश रहने की दुआ देते हो,
दुनियाँ को इंसानियत सिखाओगे शायद,
अमित तुम सीने में अंगार ले के चलते हो,
अपने अश्कों से तुम आग लगाओगे शायद,
अमित”अश्क”
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